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हनुमान आसन कैसे करें सीखें पूरी विधी - साधक अंशित

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वायु पुत्र होने के नाते हनुमान जी में एक स्थान से दूसरे स्थान पर छलांग मारने का अद्भुत गुण पाया जाता है। रामायण में भी दो जगह इसका वर्णन मिलता है। पहला तब, जब सीता माता की खोज के लिए वह 100 योजन की दूरी वाला समुद्र लांघकर भारत से श्रीलंका चले गए थे। इस दौरान उनकी एक टांग श्रीलंका को छू रही थी तो दूसरी टांग भारत को छू रही थी। वहीं दूसरी बार हनुमान ने लक्ष्मण को शक्ति लगने पर श्रीलंका से हिमालय तक छलांग लगाई थी। बाद में पर्वत सहि​त वह वापस श्री लंका आए थे। बाद में वह पुन: उसे हिमालय तक रखने गए थे। इस दौरान हनुमान जी की टांगें जिस स्थिति में फैली हुईं थीं। हनुमानासन उसी स्थिति को समर्पित है। हनुमान आसन के फायदे  •इसको करने से साइटिका का दर्द हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।   •शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाने में यह आसन लाभदायक है। •इसको करने से हमारी कमर पतली होती है और वजन भी घटता है। •इस आसन के नियमित अभ्यास से स्त्रियों के सभी रोग जैसे कि मासिक धर्म संबंधी व अधिक रक्त स्त्राव सम्बन्धी समस्या दूर हो जाती हैं। •अनिद्रा, अवसाद और मस्तिष्क सम्बन्धी हानिकारक पदार्

वजन घटाएं मात्र 15 दिनों में इन 15 योगासनों से - Sadhak Anshit

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मनुष्य को प्रकृति की ओर से संतुलित और सुडौल शरीर मिलता है, पर वह गलत रहन-सहन, बुरी आदत तथा खान-पान में अनियमितता के कारण इस शरीर को बेडौल बना लेता है। वैज्ञानिक रूप से मोटापा हम उसे कहते हैं जिसमें शरीर का वजन ऊँचाई के मान से अधिक होता है। आधुनिक समय में यह एक बीमारी के रूप में तेजी से फैल रहा है। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि हम शारीरिक श्रम उतना नहीं करते, जितना कि हमारे द्वारा खाए गए खाने के बाद किया जाना चाहिए। जो ऊर्जा शरीर में ज्यादा उत्पन्ना होकर अतिरिक्त रह जाती है, वह शरीर के उन्हीं भागों में चर्बी के रूप में एकत्र हो जाती है, जिनका उपयोग हम अधिक नहीं करते हैं। कूल्हे व पीठ का भाग बढ़ जाता है, पेट के लटकने से मांसपेशियाँ ढीली हो जाती हैं, हाथों व जाँघों का थुलथुला हो जाना- ये सभी लक्षण मोटापे के रूप में दिखते हैं। मोटे व्यक्ति अधिकांशतः कब्ज के कारण पीड़ित रहते हैं और उन्हें मधुमेह, उच्च रक्तचाप, दिल की बीमारी, जोड़ों का दर्द, गठिया, घुटनों में दर्द की संभावना भी अधिक होती है। क्या आपकी भी तोंद निकल आई है? क्या पेट के बल झुकने में तकलीफ होती है? क्या चलते हुए या सीढ

मधुमेह का करें जड़ से खात्मा इन 12 योगासनों से - साधक अंशित

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यदि आप मधुमेह (Diabetes) की बीमारी से ग्रस्त है तो उसके अनेक कारण हो सकते हैं जैसे कि सही समय पर व्यायाम न करना, गलत भोजन करना और आजकल की तनावग्रस्त आधुनिक जीवनशैली इस समस्या को और अधिक जटिल कर देती है। इस समस्या का निवारण करने हेतु आपको आधुनिक चिकित्सा के साथ-साथ अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाना भी अति आव्यशक है। इस आधुनिक समाज में जहाँ जीवन निरंतर चलायमान है, अपने जीवन शैली में परिवर्तन लाना थोड़ा मुश्किल हो सकता है। भारत में आज लगभग हर घर में आपको कोई न कोई मधुमेह का रोगी मिल ही जाएगा। वैसे तो आमतौर पर लोग इस बीमारी को कोई खास तवज्जो नहीं देते लेकिन एक बार इस बीमारी की जद में आ जाने के बाद इससे छुटकारा पाना बेहद मुश्किल हो जाता है। साथ ही यह एक ऐसी बीमारी है कि जिसके बाद मनुष्य को बहुत सी चीजों से किनारा करना पड़ता है। इतना ही नहीं, कुछ समय पहले तक जहां यह एक उम्र के बाद ही लोगों को अपनी चपेट में लेता था, वहीं गलत खान−पान व जीवनशैली के कारण वर्तमान में कम उम्र के लोग भी इससे पीड़ित हो रहे हैं। ऐसे में यह बेहद आवश्यक है कि कुछ ऐसे उपाय किए जाएं, जिससे आपका शुगर कंट्रोल में रह

ध्यान एक आध्यात्मिक अनुभूति - साधक अंशित

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शरीर के सभी अवयव मुख्य ही हैं। परन्तु उन सब में महत्वपूर्ण है मन। वह चंचल है। काम, क्रोध, मद, मोह, आलस्य तथा भय वगैरह प्रवृत्तियों का प्रभाव जब मन पर पड़ता है, तब सारा शरीर उसका अनुभव करता है। कहा जाता है कि प्रकाश की तरंगें एक सेकंड में 3 लाख किलो मीटर दूर तक प्रसारित होती हैं। लेकिन मन का वेग उससे भी अधिक है। मन इच्छाओं का निलय है। एक इच्छा की पूर्ति के बाद दूसरी इच्छा होती है। कर्मेद्रियों तथा ज्ञानेंद्रियों के द्वारा मन बाह्य संसार से संपर्क स्थापित करता है। इन इंद्रियों एवं मन को जीतना ही योगशास्त्र का मुख्य लक्ष्य है। भजन, कीर्तन, पूजा, यज्ञ, जप, तप, योगासन, प्राणायाम तथा ध्यान आदि इस लक्ष्य की पूर्ति में अधिक सहयोग देते हैं। ध्यान मन को जीतने का एक मुख्य साधन है। शरीर को हिलावें तो मन भी हिलता है| इसलिए शरीर को एक ही आसन की स्थिति में ज्यादा देर तक बिना हिलाये, स्थिर रूप से रखना योगासनों का उद्देश्य है| महर्षि पतंजलि के अनुसार “स्थिरं सुखं आसनं” है। यह स्थिति ध्यान के लिए अत्यंत आवश्यक है। ध्यान मन को दौड़ने नहीं देता | उसे रोकता है। हर दिन कम

What is the Correct Yogic Diet?

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I get asked a lot what the best nutrition practice is for yogis, and what type of diet a yogi should adopt. What might seem like a pretty straightforward question is actually more complex than you might think. When we talk about nutrition from a yogic perspective, there is a lot more at play than simply looking at the nutritional content of our food. While that is important and fuelling your body properly for practice is imperative to preventing injury, for the purpose of this blog post I’m referring to the energetic aspect of our nutrition. I’m talking about the dilemma that plagues many Yogis: To eat meat, or not too eat meat, that is the question. It’s a pretty loaded question. But over and over I’ve heard the same thing from many practitioners – after practicing for long enough, at some point, they just don’t feel good about eating meat or animal products anymore. I typically struggle to comment on this because I’ve found that when it comes to being vegan/vegetar

YOGA FOR EYES - SADHAK ANSHIT

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Eyes suffer due to high levels of pollution and constant exposure to screens (TV, mobile, etc.) Due to the overuse of our eyes, our nervous system is constantly in a fatigued state. Eyes are the most sensitive and important organs of the body. They perceive and pass messages to the brain, which is in close vicinity. It is equally important to take care of it and work actively towards its betterment. Many of us fail to pamper our eyes and at max, we wash it twice a day with cold water. But that is not sufficient; we need to create a routine that has a definitive lasting positive impact. Problems like high myopia, retinal detachment, conjunctivitis and age-related issues like cataract, diabetic retinopathy can be avoided or delayed to a great extent when you bring Yoga into your practice. There are a few steps which when followed with full dedication, can keep you away from the majority of eyesight issues. Eye movement exercises are the best and it takes 10 min of your day, t

बालों और त्वचा की खूबसूरती के लिए करें सर्वांगासन

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सर्वांगासन योग के लाभ एवं विधि सर्वांगासन क्या है ? सर्वांगासन योग पूरे शरीर यानि पैर की उंगलियों से लेकर मस्तिष्क तक फायदा पहुंचता है। साथ ही साथ यह कई महत्वपूर्ण स्वास्थ्य लाभ के लिए जाना जाता है। सर्वांगासन को योग की दुनिया में आसनों के माँ के नाम से पुकारा जाता है क्योंकि यह आसन शरीर के हर अंग को किसी न किसी तरह से स्वास्थ लाभ पहुंचाता है। माँ को देख कर मुस्कान छिपाए नहीं छुपती उसी तरह सर्वांगासन का प्रतिदिन अभ्यास करने से पूरा शरीर हर्ष व् उल्लास से भरा रहता है और साधक विभिन्न प्रकार की विकारों से भी बचता है। सर्वांगासन की विधि अब बात आती है कि सर्वांगासन को कैसे किया जाए जिससे इसका ज़्यादा से ज़्यादा फायदा मिल सके। •सबसे पहले अपनी पीठ के बल सीधे लेट जाएं। धीरे – धीरे अपने पैरों को 90 डिग्री पर ऊपर उठाएं। •धीरे से सिर को अपने पैरों की तरफ लाने का प्रयास करें। •आपकी ठोड़ी सीने से सटा कर रखें। •30 सेकंड या उससे अधिक के लिए मुद्रा को बनाए रखने के लिए प्रयास करें, और फिर धीरे-धीरे पुरानी स्थिति में वापस आ जाएँ, यह एक चक्र हुआ। •इस तरह से आप 5 चक्र करें। स