हनुमान आसन कैसे करें सीखें पूरी विधी - साधक अंशित


वायु पुत्र होने के नाते हनुमान जी में एक स्थान से दूसरे स्थान पर छलांग मारने का अद्भुत गुण पाया जाता है। रामायण में भी दो जगह इसका वर्णन मिलता है। पहला तब, जब सीता माता की खोज के लिए वह 100 योजन की दूरी वाला समुद्र लांघकर भारत से श्रीलंका चले गए थे। इस दौरान उनकी एक टांग श्रीलंका को छू रही थी तो दूसरी टांग भारत को छू रही थी।
वहीं दूसरी बार हनुमान ने लक्ष्मण को शक्ति लगने पर श्रीलंका से हिमालय तक छलांग लगाई थी। बाद में पर्वत सहि​त वह वापस श्री लंका आए थे। बाद में वह पुन: उसे हिमालय तक रखने गए थे। इस दौरान हनुमान जी की टांगें जिस स्थिति में फैली हुईं थीं। हनुमानासन उसी स्थिति को समर्पित है।

हनुमान आसन के फायदे 
•इसको करने से साइटिका का दर्द हमेशा के लिए समाप्त हो जाता है।  
•शरीर में ब्लड सर्कुलेशन बेहतर बनाने में यह आसन लाभदायक है।
•इसको करने से हमारी कमर पतली होती है और वजन भी घटता है।
•इस आसन के नियमित अभ्यास से स्त्रियों के सभी रोग जैसे कि मासिक धर्म संबंधी व अधिक रक्त स्त्राव सम्बन्धी समस्या दूर हो जाती हैं।
•अनिद्रा, अवसाद और मस्तिष्क सम्बन्धी हानिकारक पदार्थ बाहर निकल जाते हैं।
•लोअर बैक, हिप्स और टांगों को स्ट्रेच करता है। •हिप्स का मोशन खोलता है।
•रीढ़ की हड्डी को सीधा करता है।
•प्लान्टर फेशियाइटिस (एड़ी के दर्द) में राहत देता है।
•हैमस्ट्रिंग, ग्लूट्स, और आईटी बैंड को स्ट्रेच करता है।
•मूलाधार और स्वाधिष्ठान चक्र को जाग्रत करता है।
•लेग मसल्स को स्ट्रेच करके मजबूत और टोन करता है।
•टांगों और हिप्स में रक्त प्रवाह को तेज करता है।
•लिगामेंट्स और टेंडोंस को बेहतर बनाता है।

हनुमान आसन की सावधानियां 
•यदि शरीर में किसी तरह की चोट लगी हो तो हनुमानासन का अभ्यास करने से परहेज करें।
•यदि पैरों या जोड़ों में दर्द हो तो हनुमानासन का अभ्यास नहीं करना चाहिए।
•पीठ और कमर में कोई चोट लगी हो या दर्द हो तो यह आसन नहीं करना चाहिए अन्यथा रीढ़ की समस्या अधिक बढ़ सकती है।

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