लोक परलोक का रहस्य
मनुष्य चाहे खुद को कितना ही ताकतवर क्यों ना समझ बैठे, लेकिन सच यही है कि वह इस ब्रह्मांड का एक बहुत ही छोटा अंग मात्र है। यह एक बड़ा तथ्य है और इस तथ्य के आधार पर हम इस बात का अंदाजा लगा सकते हैं कि असल में यह ब्रह्मांड कितना विशालकाय होगा।
शायद बहुत ही कम लोग जानते हैं कि ब्रह्मांड में तीन नहीं बल्कि दस लोक होते हैं। और आमतौर पर स्वर्गलोक को सबसे ऊपरी स्थान पर रखते हैं लेकिन 10 लोकों की इस श्रेणी में स्वर्गलोक पांचवें स्थान पर आता है।
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सत्यलोक या ब्रह्मलोक:
लोकों की कड़ी में सबसे ऊपर है सत्यलोक। इस लोक को ब्रह्मा का निवास स्थान माना जाता है। ब्रह्मा के साथ सत्यलोक में सरस्वती और अन्य आध्यात्मिक हस्तियां रहती हैं, जिन्होंने अनंत काल तक तपस्या करने और भौतिक जगत से मोह छोड़ने के बाद इस लोक में अपना स्थान सुनिश्चित किया है।
तपो लोक:
सत्यलोक से 12 करोड़ योजन (चार कोस का एक योजन) नीचे स्थित है तपो लोक जहां चारों कुमार, सनत, सनक, सनंदन, सनातन रहते हैं। विष्णु के पहले अवतार माने जाने वाले ये कुमार, ज्ञान शक्ति को दर्शाते हैं। इन्हें कुमार इसलिए कहा जाता है क्योंकि ये अनश्वर हैं और इनका शरीर मात्र 5 साल के बच्चे का है। अपनी पवित्रता के कारण ये कुमार, ब्रह्मलोक और विष्णु के स्थान वैकुंठ में जाने के लिए स्वतंत्र हैं।
जन लोक या महर लोक:
तपो लोक से 8 करोड़ योजन नीचे स्थित है महर्षियों की निवास भूमि, तपो लोक से 2 करोड़ योजन नीचे स्थित महर लोक भी महान ऋषि-मुनियों का घर है। इन दोनों लोकों पर रहने वाले ऋषि-मुनि भौतिक जगत और सत्यलोक में विचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं।
भृगु का स्थान:
इस लोक पर रहने वाले महर्षियों द्वारा अलग-अलग लोकों पर जाने की गति इतनी अधिक है कि आधुनिक विज्ञान भी उसे समझ नहीं सकता। महान भृगु मुनि भी जन लोक में ही रहते हैं। इस स्थान पर रहने वाले लोगों की जीवन आयु ब्रह्मा के एक दिन के बराबर अर्थात 4.32 अरब वर्ष है।
कर्म:
कर्मों के आधार पर यह निश्चित होता है कि संबंधित आत्मा अपने सुकर्मों की वजह से ब्रह्म लोक में जाएगी या फिर जन लोक से नीचे स्थित देवों के स्थान पर पहुंच जाएगी।
स्वर्ग लोक:
आमजन जिसे सबसे ऊपरी लोक मानते हैं, उसे जनलोक के बाद स्थान दिया गया है। स्वर्ग लोक 33 करोड़ देवी देवताओं का स्थान है। बौद्ध धर्म में इन तैंतीस करोड़ देवी-देवताओं को त्रय:त्रिृंसत् कहा जाता है। यह स्थान पृथ्वी के बीचो-बीच स्थित मेरु पर्वत पर मौजूद है, जिसकी ऊंचाई अस्सी हजार योजन है।
इन्द्र देव का शासन:
पश्चिमी देशों में इस स्थान को हेवेन और इस्लाम में इसे जन्नत कहा जाता है, जिसका जिक्र अन्य बहुत सी सभ्यताओं में भी मिलता है। स्वर्ग लोक का आधिपत्य इन्द्र देव के पास है, यहां इन्द्र और अन्य देवों के अलावा के अलावा अप्सरा, गंधर्व, देवदूत और वासु भी रहते हैं। इन सभी के पास चमत्कारी शक्तियां तो हैं ही इसके अलावा ये अत्याधिक दीर्घायु और बीमारियों से मुक्ति जैसी सुविधाएं भी रखते हैं।
भौतिक जुड़ाव:
स्वर्गलोक के देव अगर भौतिक जुड़ाव को पूरी तरह नकार कर आध्यात्मिक यात्रा की ओर अग्रसर हो जाते हैं तो ये मुनि लोक, जिसे जनलोक कहा जाता है, के लिए प्रस्थान कर सकते हैं और अगर इनका जुड़ाव, आकर्षण बढ़ता है तो इन्हें नश्वर लोक, भू लोक में जन्म लेना होता है।
अलौकिक वस्तुऐं:
स्वर्ग लोक में कई चमत्कारी वृक्ष भी हैं जो लोगों की मनोकामना पूरी करते हैं। इसके अलावा आसमान में उड़ने वाले दैवीय विमान और समुद्र मंथन के अलावा उपलब्ध हुई कामधेनु गाय जैसे बहुत से अलौकिक वस्तुएं मौजूद हैं।
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भुवर लोक:
मनुष्य से थोड़ा ऊपर और देवताओं से नीचे की श्रेणी वाली शख्सियतें यहां रहती हैं। ये लोक देवताओं के संपर्क में रहते हैं और कभी-कभार मनुष्य लोक में भी विचरण करने के लिए स्वतंत्र हैं। अपनी सेवाओं को समर्पण के साथ करने पर इन्हें देवताओं की श्रेणी में रखा जाता है और अगर ऐसा नहीं होता तो इन्हें मनुष्य जन्म मिलता है।
ध्रुव लोक
महर लोक से 1 करोड़ योजन नीचे है ध्रुव लोक, जहां आकाशगंगाओं, विभिन्न तारामंडलों का स्थान है। हर लोक में वैकुंठ नामक दूध का सागर होता है, जहां भगवान विष्णु श्वेतद्वीप नाम द्वीप पर रहते हैं। ध्रुव लोक में वैकुंठ पूर्वी दिशा में स्थित है जिसे क्षीरोदित्य विष्णु का निवास स्थान माना जाता है।
सौरमंडल:
कहते हैं जब सभी लोक नष्ट हो जाएंगे तब भी ध्रुव लोक का अस्तित्व बरकरार रहेगा। यहां सूर्य के अलावा सौरमंडल के सभी ग्रह निवास करते हैं।
सप्तऋषि लोक:
ध्रुव लोक से 1 लाख करोड़ योजन नीचे स्थित है सप्तऋषियों का निवास स्थान जिसे सप्तऋषि लोक कहते हैं। हिन्दू धर्म के सबसे महत्वपूर्ण सात ऋषियों का समूह अनंत काल से इस लोक में रहता है।
भू-लोक:
नश्वर लोक, जिसे भू लोक कहा जाता है में पाप और पुण्य के फेर में उलझे इंसान रहते हैं जो पूरी तरह देवताओं और ईश्वर की निगहबानी पर अपना जीवन व्यतीत कर रहे हैं। इसके अलावा हर वो चीज जिसका अंत एक निश्चित समय पर हो ही जाना है, भी इसी स्थान पर वास करती है।
पाताल लोक:
असुरों के शासन में पाताल लोक का संचालन होता है। इस स्थान पर सभी नकारात्मक ताकतें निवास करती हैं, जिनका स्वर्ग तक पहुंचने का रास्ता भू लोक से होकर गुजरता है।
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